
पौधरोपण/ वृक्षारोपण के नाम पर हरियाली का खेला , होता है दिखावा?*
सुधीर बैसवार सनावद/बीते वर्षो मे धरती को हरा भरा करने के लिए खाली पड़ी जमीन या फिर कॉलेज, विद्यालय सुतमिल परिसर जैसी खुली जगह पर सैकड़ो हजारों वृक्षों या पौधों को रोपित किया जाता है। सबसे मजेदार बात यह है कि उन पौधों के देखरेख और ¨सिचाई करने के लिए या तो मजदूरों की तैनाती की जाती है या फिर उसकी जिम्मेदारी कुछ समाजसेवियों, संस्थाओं, गणमन्यो द्वारा ली जाती है। ऐसे रोपित किए गए पौधों की संख्या सहित उसके बजट (खर्च का लेखा-जोखा )तो नगर पालिका को पता होता है, लेकिन, यह पौधे कहा गए उसका पता किसी के पास नहीं। इस पृष्ठभूमि में इस वर्ष भी नगर पालिका के तत्वाधान में प्रधानमंत्री के जन्मदिवस 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम तहत विभिन्न स्थानों पर छोटे मोटे नेताओं से लेकर नपा अधिकारी, कर्मचारी और समाज सेवियो द्वारा विभिन्न स्थानों पर पौधा /वृक्षारोपण के नाम पर हरियाली का खेला हुआ। जिसमें एक पौधे को चार से छह लोग पकड़ते हैं और पेड़ की तरफ से कैमरे की तरफ देखते हुए फोटो खिंचवाने का कथित दिखावा किया गया। जिसकी बानगी में 21 सितंबर को सूतमिल ग्राउंड परिसर में हुए ऐसे ही वृक्षारोपण कार्यक्रम दौरान और उसके बाद 5 अक्टूबर को उस जगह की तस्वीर वीडियो सारी पोल खोलने के लिए काफी है। मतलब ऐसे दिखावा आयोजन में हर बार की तरह इस बार भी कुछ दिनों बाद रोपित पौधे या वृक्ष अधिकतर जगहों पर नजर नहीं आना है, मजे की बात है इस हकीकत को देखने समझने के बाद भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि मौन रहेंगे जिससे सही मायने में हरियाली आए या न आए पर संबंधित कर्ता की जेबों में हरियाली आना तय है ।दरअसल पेड़ लगाना अच्छी बात है जब पेड़ लगाएंगे तभी पर्यावरण को बचा पाएंगे हमें शुद्ध हवा मिलेगी और बारिश भी होगी। ऐसे में जरूरी है पौधारोपण करते फोटो प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर दिखाई देने के साथ उसे वृक्ष बनाने के लिए उसकी सिंचाई और देखभाल को लेकर भी फोकस किया जाए।