
दो वर्ष बीत जाने के बाद विजयी सरपंच को मिला जीत का प्रमाण पत्र
दो वर्ष तक हारे प्रत्याशी ने किया सरपंचीं- न्यायालय के फैसले के बाद सच्चाई आया सामने
भारत संवाद न्यूज से- जिला ब्युरो दिनेश यादव खबर मंडला जिला के नैनपुर विकास खंड से है- जंहा से एक चौंकाने बाली खबर निकलकर आया है- दरअसल मंडला जिला के नैनपुर विकासखंड के अंतर्गत आने बाली ग्राम पंचायत सुर्खी में ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान हारे हुए उम्मीदवार को विजयी घोषित करते हुए- सरपंच का प्रमाण पत्र दे दिया गया था- इस बात से असंतुष्ट प्रतिद्वंदी ने नैनपुर न्यायालय में- पुनः मत गणना कराने को लेकर गुहार लगाया था- और दिनांक-16 अक्टूबर-2024 को नैनपुर की ग्राम पंचायत सुर्खी का दो साल से न्यायालय में चल रहे निर्वाचन से संबद्ध मामले का निर्णय आखिर आ ही गया-व जीते हुए उम्मीदवार के पक्ष में न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया- और सत्य की जीत हुई- आपको बता दें कि-2 साल पहले हुए ग्राम पंचायत सुर्खी में सरपंच चुनाव में हुई गडबी की अशंका को लेकर दायर की गई याचिका के अनुसार सुनवाई करते हुए-16 अक्टूबर- 2024 को पुनः मतगणना कराया गया व सही में जीते हुए प्रत्याशी- देवचंद मरकाम को नैनपुर एसडीएम एवं तहसीलदार ने मतगणना के बाद सरपंच निर्वाचित कर दिया- बता ते चलें कि बिगत-2 साल पहले नैनपुर के सुर्खी ग्राम पंचायत चुनाव मै तत्कालीन पीठासीन अधिकारी की गलती से हारे हुए प्रत्याशी शैलकुमार को विजय प्रत्याशी घोषित कर प्रमाण पत्र दे दिया गया था- जो कि निर्वाचन मामले में एक बहुत बड़ी भूल एवं गलती थी- जबकि पीठासीन अधिकारी द्वारा चुनाव को प्रभावशाली ढंग से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव करवाना प्रमुख कर्तव्य तथा उत्तरदायित्व रहता है- बता दें कि जो व्यक्ति को सरपंच का प्रमाण पत्र दिया गया था वह हारा हुआ प्रत्याशी शैल कुमार चौथे नंबर पर रहने के बाद उसे तत्कालीन पीठासीन अधिकारी की गलती से विजय घोषित कर सरपंच घोषित किया गया था- उसके पश्चात जो जीते हुए प्रत्याशी देवचंद मरकाम थे उनको हारा हुआ बताया गया था- इस प्रक्रिया के तत्काल बाद देवचंद मरकाम ने अदालत की शरण लेकर पुन मतगणना की याचिका दायर की थी- और लगातार-2 साल तक नैनपुर अदालत में सुनवाई के बाद आखिर बह समय आही गया जब- नैनपुर एसडीएम और तहसीलदार के सामने पुनः मतगणना की गई और जिसमें-2 साल पहले हारे हुए सरपंच प्रत्याशी देवचंद मरकाम को सरपंच निर्वाचित कर सरपंच पद पर विजय होने का प्रमाण पत्र दिया गया- यह निर्णय आने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि तत्कालीन पीठासीन अधिकारी की गलती से निर्वाचन प्रक्रिया में बाधा पहुंची थी- वहीं अब इस मामले को लेकर जिला प्रशासन अगली क्या कार्रवाई करता है यह देखने का विषय है- क्योंकि यह निर्वाचन की पवित्रता से जुड़ा संवेदनशील मामला हैं- इस मामले पर जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाते हुए इस मामले की पूरी जांच कराना चाहिए और तत्कालीन पीठासीन अधिकारी के ऊपर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जावे- ताकि ऐसे संवेदनशील मामलों पर अधिकारी सतर्क रहकर अपनी ड्यूटी ईमानदारी से कर निर्वाचन की प्रक्रिया में अपने कर्तव्य को सही अंजाम दें।